जैसे हर किसी चीज़ के फायदे या नुक्सान होते हैं उसी तरह ऑनलाइन क्लासेस के बहुत से फ़ायदे हैं लेकिन कई नुक़सान भी है। आइए जानते हैं ऑनलाइन क्लासेस से हो रहे नुक़सान के बारे में,
उपयुक्त साधनों की कमी:
सब से पहली समस्या तो यह है की ऑनलाइन क्लासेज में उपयोग होने वाले उपकरणों का सही समय पर उपलब्ध होना. जैसे की लैपटॉप, अच्छी configuration के मोबाइल फ़ोन्स, अच्छी स्पीड देने वाले इनटरनेट कनेक्शन, हैडफ़ोन या ईयरफोन्स, एवं घर में एकांत जगह या कमरा। अगर घर में एक से ज्यादा बच्चे या अध्यापक हैं तो सभी के पास उपकरण उपलब्ध होने आवश्यक हैं जो कई अभिभावकों के लिए मुहैया कर पाना मुश्किल है। कई बार उपकरणों की कमी की वजह से बच्चे क्लास नहीं कर पाते या अध्यापकों को क्लास छोड़नी पड़ती है जो की एक बड़ी समस्या है।
नेटवर्क की खराबी:
इनमें जो अक्सर होने वाली दिक्कत है वो है इनटरनेट स्पीड की कमी या कभी नेटवर्क की खराबी। सर्विस provider कम्पनियाँ कर्मचारियों की कमी और सुविधाओं की कमी के कारण उपभोगताओं की इस समस्या का निवारण भी जल्दी नहीं कर पाते इससे या तो क्लास में ऑडियो और वीडियो ठीक से चलता नहीं या फिर बच्चों को क्लास ही मिस करनी पड़ती है।

पेड प्लेटफार्म:
कई ऑनलाइन एजुकेशन और मीटिंग प्लेटफार्म लांच हुए लेकिन या तो वो पेड होते हैं या फिर उनके द्वारा निर्धारित की गई संख्या के ही बच्चे जुड़ सकते है, अधिक संख्या में या सबकी एक साथ क्लास लेना संभव नहीं हो पाता।
ऑनलाइन क्लासेज के है कई फायदें: उनके बारें में पढ़े
डिसिप्लिन की कमी:
ऑनलाइन क्लासेज में टीचर्स का बच्चों के साथ सही कंनेक्ट नहीं हो पता, बच्चों का क्लास में डिसिप्लिन कायम रखना ये बिलकुल उनके ही हाथों में होता है टीचर्स इसमें कुछ कर नहीं सकते। क्लासेज के तुलना में ऑनलाइन क्लासेज में 40 बच्चों को एक साथ मॉनिटर करना एक टीचर के बहुत ही मुश्किल होता है।
भटकने का डर:
क्लासेज के दौरान ध्यान भटकना एक आम समस्या है। ऑनलाइन टीचिंग प्लेटफॉर्म्स की मदद से आप वीडियो ऑन कर आप अपनी उपस्थिति तो दर्शा सकते हैं लेकिन एक टीचर के लिए ये जान पाना की बच्चा साथ में स्क्रीन पर और क्या देख रहा है ये बहुत मुश्किल हो जाता है।
इनटरनेट जहाँ आज कल घर घर की जरुरत बन गया वहीँ इसके कई नुक्सान भी है, कई बार ये एक ऐसा दलदल बन जाता है की आप इसमें डूबते कहले जाते और आपको एहसास भी नहीं होता। इंटरनेट पर कंटेंट की कोई कमी नहीं और जब आप कोई कंटेंट सर्च करते है तो कई आपको recommended और suggestions में कंटेंट आता है जो न चाहते हुए भी आप क्लिक करते जाते है और अक्सर हम भटक जाते है की पढ़ने या खोजने क्या आये थे।
अगर आप फ़ोन से क्लासेज लेते है या आपके बच्चे स्मार्ट फ़ोन से क्लासेज अटेंड करते है तो दूसरी अन्य एप्लीकेशन के notifications से अक्सर आप भटक सकते हैं और इससे न सिर्फ समय की बर्बादी होती है बल्कि न चाहते हुए हम वो कंटेंट देखने लगते है जो हमारे काम का है ही नहीं।

आँखों पर पड़ता है बुरा असर:
अत्यधिक लम्बे समय तक मोबाइल या लैपटॉप स्क्रीन देखने से आपकी और आपके बच्चों की आँखों पर बुरा असर पड़ता है. आंखें कमजोर भी हो सकती है।
समय के साथ होने वाले बदलाव को अपनाने में ही समझदारी होती है। उसी तरह इन समस्याओ के बावज़ूद अगर हम थोड़ा ध्यान और सख्ती बरतें तो इस नयी शिक्षा प्रणाली और new normal को अच्छे से अपना सकते है। हो सके तो बच्चों को हमेशा लैपटॉप में ही क्लासेज करने दें, मोबाइल की छोटी स्क्रीन से आँखों पर ज़ोर और ज्यादा बुरा असर पड़ता है। क्लासेज अटेंड करने के लिए बच्चों के लैपटॉप में नया यूजर और गूगल में भी नया अकाउंट जरूर बनाएं। मोबाइल में मेमोरी खली रखें और उस फ़ोन केवल पढ़ाई/सब्जेक्ट से सम्बंधित ही ऍप्लिकेशन्स डाउनलोड करें। अन्य ऍप्लिकेशन्स को तुरंत डिलीट या डिसेबल कर दें। सही इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर का चयन करें जो अच्छी स्पीड और स्टेबल नेटवर्क दे, जिससे बच्चों की पढ़ाई में कोई बाधा उत्पन्न न हो। हो सके तो छोटे बच्चों को अकेला न छोड़ें, क्लासेज के दौरान अगर आप उपस्थित रह सकते है तो अच्छा होगा.

इस मुश्किल की घड़ी में धैर्य और सहस न खोएं और बच्चो पर अपना विश्वास दिखायें। उनकी रुचि, छमता और काबिलियत को पहचानें। उनपर किसी भी तरीके का दबाव ना डालें। उन्हें प्रोत्साहित करें और उनकी समस्याओं का समाधान करें.
हम सब भारतीय मिल कर ये जंग जरूर जीतेंगें. जय हिन्द जय भारत !
Shweta is the founder of Positive Shades and MommyWelt having over a decade of corporate experience in software, corporate training, and health care industries. She handled community growth by mentoring, motivating people, and encouraging teamwork. She loves making friends and discovering new venues.
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